जिंदगी में जरुरी नहीं कि हर ख्वाहिश पूरी हो,
कोई जरुरी नहीं कि हर रात नूरी हो,
वो तो नजरिया इंसां का है, जो है उसे देखता,
बदलता, ढालता, ढलता और सहेजता,
अंधियारे में सायों से ही वो बनाता नए चित्र,
अधूरी ख्वाहिशों में भी भरता रहता रंग विचित्र,
इन्हीं चित्रों में ढूंढ ख़ुशी, पूरी करता ख्वाहिशें,
क्या हुआ ख्वाहिशें बदलीं और मिल गई नई मंज़िलें,
जो ख्वाब पूरे न हों तो उनके पीछे क्या भागना,
ख्वाब लो तुम बदल अपने, जिंदगी जी लो यहाँ,
ना बीते पर बस है अपना, ना आने वाले का यकीं,
जी सको तो जी लो हर पल, मानो जैसे ये ही है आखिरी,
लाख गम हैं जमाने में, मैं क्यूँ दूँ इक और मिला,
कारवां क्यूँ न शुरू कर दूँ, अपना मैं इक कदम बढ़ा,
फ़लसफ़े तो बन ही लेंगे, जब दिल में है इतना हौसला,
सारे ख्वाब भी पूरे होंगे, बस अब शरू है सिलसिला,
आँख मेरी आज नम है, दिल में है छाया ज़लज़ला,
चंद अधूरी ख्वाहिशें, चुभती हैं दिल में, करतीं गिला,
कर दूंगी उनको भी मैं ठंडा, अपनी नज़मों के रंग मिला|